जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो जाएँगे। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के 75 हफ्ते पहले, 12 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव का एलान किया था जोकि 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।
अमृत महोत्सव के शुरुआत के लिए गुजरात के साबरमती को चुना गया है। यहीं से महात्मा गाँधी के नेतृत्व में दांडी मार्च शुरू किया गया था। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने तक अर्थात 15 अगस्त 2022 तक 75 सप्ताह पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। देश के हर राज्य और हर केंद्र शासित प्रदेश के साथ ही भारतीय दूतावासों में भी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा ।
भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कार्यक्रमों (अमृत महोत्सव) के लिए 259 सदस्य की उच्च स्तरीय राष्ट्रीय समिति का गठन भी किया गया है।
इसके पीछे का उद्देश्य क्या है.
देश भर में आयोजित प्रदर्शनियों में असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, के साथ ही दांडी मार्च, महात्मा गाँधी, नेताजी शुभाष चन्द्र बोस और आन्दोलन के नेताओं सहित स्वतंत्रता से संबंधित मुख्य स्थलों को भी दिखाया जायेगा। महोत्सव के जरिये आजादी से जुड़े उन विस्मृत नायकों की भी तलाश होनी है जो इतिहास के पन्नो में होते हुए भी एक गुमनामी जैसे ही हैं.
इस महोत्सव के जरिये सरकार देश के बच्चो और युवाओ को उन महावीर योद्धा को जानने का एक अवसर भी मिलेगा जो इतिहास के पन्नों में कहीं दबे हुए रह गए हैं साथ ही यह महोत्सव नए संकल्पों , दृष्टिकोणों, और आत्म-निर्भरता भारत की प्रेरणा को प्रतिध्वनित करेगा ताकि देश प्रेम भावनाओं में एक अलग जोश भरने का कार्य करेगा ।
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित कार्यक्रम एवं गतिविधियां।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत महोत्सव के लिए एक वेबसाइट का उद्घाटन किया है।
- एक ‘आत्मनिर्भर इनक्यूबेटर’ शुरू किया गया था जो पारंपरिक कला में शामिल लगभग 40,000 परिवारों की मदद करेगा।
- तमिलनाडु और कर्नाटक में, स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए प्रदर्शनियां, साइकिल जत्था, वृक्षारोपण और जुलूस निर्धारित किए गए।
- क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो ने राजस्थान में पांच दिवसीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
अमृत महोत्सव का महत्व
प्रधानमंत्री [ihc-login-form] या आंदोलन 6 अप्रैल, 1930 तक चला था।
महात्मा गांधी ने 12 मार्च को साबरमती से अरब सागर (दांडी के तटीय शहर तक) तक 78 अनुयायियों के साथ यात्रा की, जो की 241 मील का था । इस यात्रा का उद्देश्य महात्मा गांधी और उनके समर्थकों द्वारा समुद्र के जल से नमक बनाकर ब्रिटिश नीति का उल्लंघन और बिरोध करना था।